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सावरकर: एक भूले-बिसरे अतीत की गूँज १८८३-१९२४

सावरकर: एक भूले-बिसरे अतीत की गूँज १८८३-१९२४

विक्रम सम्पत, Vikram Sampath
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सावरकर बीसवीं सदी के सर्वाधिक विवादास्पद भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। हिंदुत्व की राजनीति के पुरोधा सावरकर जीवन भर गांधी, उनके दर्शन और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे सशक्त वरोधी बनकर खड़े रहे। सावरकर के बारे में या तो भक्तिभाव से लिखा गया या फिर घृणा के भाव से। सावरकर, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिंदू समुदाय की मुखर आवाज़ थे। एक कथित नास्तिक और कट्टर तर्कवादी के रूप में उन्होंने अंतर्जातीय विवाह का समर्थन किया और गाय की पूजा को अंधविश्वास मानकर खारिज कर दिया था। उन्हें एक दशक से भी ज़्यादा तक अंडमान की सेल्युलर जेल में रखा गया, जहाँ उन्हें अकल्पनीय यातनाएँ दी गई। सवाल यह है कि जो सावरकर शुरू में हिंदू-मुस्लिम एकता के इतने बड़े पैरोकार थे, वे सेल्युलर जेल जाने के बाद ‘हिंदुत्व’ के प्रवक्ता कैसे बन गए? इस शोधपूर्ण जीवनी का पहला खंड सावरकर के जीवन और दर्शन को एक नए दृष्टिकोण से देखने का प्रयास करता है और उनके व्यक्तित्व को उनकी कमज़ोरियों और उपलब्धियों के दायरे में देखता है।
Tom:
1
Rok:
2021
Wydawnictwo:
Penguin Random House India
Język:
hindi
Strony:
538
ISBN 10:
9354920136
ISBN 13:
9789354920134
Serie:
सावरकर
Plik:
EPUB, 11.35 MB
IPFS:
CID , CID Blake2b
hindi, 2021
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